Pages

Sunday, April 3, 2016

नयनसुख


सुन्दर मयूरपंख सरपे ,
नीले  , हरे  कपड़ो की पगड़ी इनमे लाल फूल है सजाए
ब्रजराज है आप,
आपकी ताजगी करोडो फूलों को हराए 


नील रंग की अंगूठी
बादलों को सताए ,
कानोंमें मकर कुंडल आगे पीछे लहराए
कलाईयों  में हार और ओंठो पे मंद मुस्कान
भटकते हुए मन के लिए जाल बिछाए 


No comments:

Post a Comment