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Sunday, April 3, 2016

नयनसुख


सुन्दर मयूरपंख सरपे ,
नीले  , हरे  कपड़ो की पगड़ी इनमे लाल फूल है सजाए
ब्रजराज है आप,
आपकी ताजगी करोडो फूलों को हराए 


नील रंग की अंगूठी
बादलों को सताए ,
कानोंमें मकर कुंडल आगे पीछे लहराए
कलाईयों  में हार और ओंठो पे मंद मुस्कान
भटकते हुए मन के लिए जाल बिछाए 


करुणा याचना


मृगनयन समान है राधे, आपकी ऑखे ,
चमकती मुस्कान ,
मन में जपत है सदा कृष्ण का नाम
ह्रदय ममता से सराभोर ,
हमें ले चले कृष्ण की ओर


मैं सोच पाऊं आपके बारेमे हरबार ,
निहारु आपकी करुणामयी छवि वारंवार
आपके सेवकोंके निरन्तर सेवा मैं लगु सरकार,
यही  याचना मांगत है ये भिकारी इसबार